ईमानदार चाणक्य
चाणक्य मौर्य सम्राट चंद्रगुप्त के प्रधानमंत्री थे। उन्हें कौटिल्य और विष्णुगुप्त के नाम से भी जाना जाता है। अर्थशास्त्र किताब उन्होंने ही लिखी थी। क्या आप जानते हैं कि पश्चिमी देशों में उन्हें इंडियन मैकियावेली भी कहा जाता है! मैकियावेली को पश्चिम में एक विद्वान व्यक्ति के रूप में मान्यता प्राप्त है। चाणक्य तक्षशिला यूनिवर्सिटी में प्रोफेसर थे और उन्होंने नंद वंश को समाप्त कर मौर्य साम्राज्य की स्थापना की थी। सच तो यह है कि वे एक सच्चे देशभक्त थे। वे मौर्य साम्राज्य के प्रधानमंत्री होते हुए भी साधारण जीवन जीते थे।
उनके बारे में एक कहानी प्रचलित है। एक बार एक विदेशी यात्री चाणक्य से मिलने उनके घर पहुंचा। यात्री ने सोचा कि वे इतने बडे पद पर हैं, तो जरूर किसी आलीशान महल में रहते होंगे! पता पूछने पर मालूम हुआ कि चाणक्य एक कुटिया में रहते हैं। कुटिया पर पहुंचने के बाद उन्होंने देखा कि एक वृद्ध व्यक्ति बाहर दिये के प्रकाश में कुछ लिख रहा है। जब उसने पूछा कि चाणक्य कहां हैं? तो उस वृद्ध व्यक्ति ने कहा, मैं ही चाणक्य हूं। यात्री ने पूछा, आप इतने बडे पद पर हैं और इस टिमटिमाते लौ की रोशनी में कुछ लिख-पढ रहे हैं! आपके लिए तो रोशनी की बडी अच्छी व्यवस्था हो सकती है! जानते हो बच्चो, उन्होंने क्या कहा? उन्होंने कहा, अभी मैं राजकीय नहीं, व्यक्तिगत काम कर रहा हूं। इसलिए मैं दिये से ही अपना काम चला रहा हूं। इतने ईमानदार थे हमारे चाणक्य!
चाणक्य की मौत चाणक्य की मौत बुढापे मे २८३ बि.सी के करीब हुई और उनका दाह-संस्कार (cremated) उनके पोते/शिष्य राधागुप्त ने किया. राधागुप्त रक्षस कट्यानन के बाद मौर्य साम्राज्य के प्रधान मंत्री बने और अशोका को राज गद्दी पर बीठाने में उनका बडा हाथ था.